Saturday, January 17, 2015

India - Maoists call 'OBAMA GO BACK"! 26 january -


NEW DELHI: At a time when the government is busy with security preparations for US President Barack Obama’s arrival to be the chief guest at the 65th Republic Day celebrations on January 26 here, Maoists have called out to people to “condemn and boycott” the visit. “In protest of calling him to be the chief guest at the at the Republic Day celebrations, we call upon people to observe 26th January as a day of protest and to boycott all the meetings,” a written statement issued by the Dandakaranya Special Zonal Committee of the CPI (Maoist), dated January 5, said. According to the statement issued by the Maoist party spokesperson Gudsa Usendi, rallies will be organized across the country with the slogan “Obama go back.”
The banned extreme left party also plans to distribute pamphlets, put up posters, banners, hold meetings and demonstrations and burn effigies of Obama and Prime Minister Narendra Modi to register their protest and in an effort to reach out to the masses in cities as well as in villages.

Calling Obama “the gang leader of American imperialism” the Maoist party statement says: “American imperialism is the number one enemy of the oppressed masses and nationalities of the world. It is the biggest terrorist and its gang leader. Obama has no moral right to touch down on our mother land,” .
Hitting out at the Modi government for its reform moves, the Maoist party said, “Make in India, Made in India are nothing but loot in India call to foreign capitalists.” Implying that the banned Maoists will continue its violence against the authorities, the statement appealed to people to “come forward to construct a powerful, militant and organized people’s movement against Modi’s Hindutva fascist government and fight American imperialists and terrorists.”

in hindi

26 जनवरी गणतंत्र दिवस को काले दिवस के रुप में मनाओ.

दुनिया का नंबर-1 आतंकवादी ओबामा वापिस जाओ.

झूठे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथी बनने वाले ओबामा का विरोध करो.

देश को दोनों हाथों से बेचने के लिये मोदी का ओबामा को निमंत्रण.

प्यारी जनता
जब नरेंद्र मोदी जी-20 देशों की मीटिंग में अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा से मिला तो ओबामा ने मोदी को 'मेन ऑफ दा एक्शन' कहा था. यह उसी देश के राष्ट्रपति के शब्द हैं जिसने दस साल तक मोदी को गुजरात दंगों का दोषी मानकर वीजा तक नहीं दिया था. लेकिन पिछले 8 महिनों में ऐसा क्या हो गया कि मोदी अमेरिका की आंखों का तारा बन गया? क्यों पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के 'गणतंत्र दिवस' पर मुख्य अतिथी बनने के लिये तैयार हो गया? इसका एक ही जवाब है- भारत का विशाल बाजार, जल-जंगल-जमीन व उस में दबी पड़ी अकूत खनिज संपदायें और अमेरिका को लाचार बनाता उसका अर्थिक संकट! नरेंद्र मोदी ने आते ही बेहद चतुरता व शब्दों की जादूगरी के साथ साम्राज्यवाद व बड़े दलाल पूंजीपतियों के लिये योजनाओं की शुरुआत कर दी. उसने युवकों को नौकरियों का लालच देकर 'मेक इन इंडिया' की घोषणा की, लेकिन इसका मतलब है - कि आओ अमेरिका, युरोप, जापान, चीन के पूंजीपतियो हमारे देश से सस्ता कच्चा माल, सस्ता श्रम लूटो, और अपने-अपने आर्थिक संकट दूर करो. दुनिया के विकसित माने जाने वाले 34 देशों में 45 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, जो साम्राज्यवादी अपने देश के युवा को नौकरी नहीं दे पा रहे वो भारत के 50 करोड़ युवाओं को क्या नौकरी देंगे? मोदी ने विदेशी कंपनियों व बड़े दलाल पूंजीपतियों के लिये "मन की बात की है" कि - मैं कानून बनाने में नहीं तोड़ने में विश्वास रखता हूं. इसका मतलब है श्रम कानून, भूमि अधिग्रहण कानून, वन आधिकार कानून आदि जो थोड़े बहुत मजदूर, किसान, आदिवासियों के हित में दिखते थे, उनको भी पूरी तरह से खत्म कर देना,
यही देख कर मोदी के आका ओबामा ने फरमाया कि मोदी मेन ऑफ द एक्शन हैं. वह लगातार 9 महीनों से साम्राज्यवाद के लिए व अडानी, अंबानी, वेदांता, टाटा, बिरला आदि के हित में एक्शन पर एक्शन कर रहा है.
साम्राज्यवाद व खासतोर पर अमेरिका की दलाली करने में नरेंद्र मोदी ने मन मोहन सिंग को कई कोस पिछे छोड़ दिया है. इतना ही नहीं तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत ओड़िशा के नवीन पटनायक व छत्तीसगढ़ के रमन सिंग भी मोदी के सुर में सुर मिलाकर राज्य के खनिज भंडारों को अमेरिकी व अन्य विदेशी कंपनियों को सौंपने के लिये जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं. वे डॉलरों में दलाली खाने के लिये लालायित बठे हुये हैं. इसलिये नवीन पटनायक ने ओड़िशा में 100 से ज्यादा कंपनियों से एमओयू किये हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पूरे बस्तर को बेचने की ठानी हुयी है. बस्तर, रावघाट, चारगांव का लोहा, नियमगिरी, कोरापुट, रायगड़, काशिपुर, बासिंगमाली, खंडुामाली, गंदमर्दान का बाक्साइट स्थानीय आदिवासियों के लिये जी का जंजाल बनता जा रहा है.
ओबमा अमेरिका में जारी आर्थिक संकट को दूर करने के लिये यहां के खनिज संसाधनों के सस्ते में ठेके लेने के लिये गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथी बनने के लिये तैयार हुआ है. ओबामा अकेला नहीं उसके साथ पूंजीपतियों व विदेशी कंपनियों के सीईओ की बारात भी आयेगी.
जो देश खुद दर्जनों देशों की जनता व्दारा चुनी गयी सरकारों का तख्ता उलट चुका है, जो फिलिपिंस की क्रांतिकारी जनता के जनयुद्ध पर दमन चलाने के लिये फिलिपिंस की फासीवादी सरकार को पूरी मदद दे रहा है. जो फिलिस्तीन के बच्चों पर बमबारी करने के लिये फासीवादी इजरायल सरकार की वकालत करता है. वह किस मुंह से गणतंत्र व जनतंत्र की बात कर सकता है? अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी है. भेड़िया भेड़ की खाल में छुपकर अपनी असलियत नहीं छुपा सकता. ओबामा की नाक के नीचे काले अमेरिकियों को सरेआम गौरे पुलिस वाले गोलियों से भून देते हैं, उन पर अमेरिका में मुकद्दमा तक नहीं चलता, हजारों काले अमेरिकी नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं. लेकिन अमेरिकी गणतंत्र आंख मूंदे चेन की सांस सोता है. ओबामा को क्या नैतिक अधिकार है कि वह गणतंत्र व लोकतंत्र की बात करे?
ओबामा और मोदी के हाथ हजारों निर्दोष जनता के खून से रंगे हैं. फासीवादी संघ परिवार ने जबरन, डर व लालच दिखाकर घर वापसी के नाम पर अल्पसंख्यकों को हिंदू बनाने का अभियान तेज कर दिया है. गणतंत्र दिवस के दिन भारत का संविधान लागू हुआ बताया जाता है. लेकिन मोदी व संघ परिवार देश के संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. वे खुद धर्मनिरपेक्ष भारत के संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं. मोदी सरकार को जवाब देना चाहिये कि देश 26 जनवरी 1950 को लागू हुए संविधान से चलेगा या फिर आरएसएस के संविधान से चलेगा.
हमारी ओड़िशा राज्य कमेटी भाकपा (माओवादी) 26 जनवरी 2015 को ओबामा के भारत दोरे का विरोध करती है. ओड़िशा की तमाम जनवाद पसंद व प्रगतिशील ताकतों सहित मेहनतकश जनता से अपील करते हैं कि ओबामा के दौरे के विरोध में 26 जनवरी को प्रतिरोध दिवस का पालन करें. मोदी की साम्राज्यवाद व बड़े पूंजीपति परस्त नीतियों के विरोध में गणतंत्र दिवस को काले दिवस के रुप में मनायें. हम ऐलान करते हैं कि भारत का संविधान व गणतंत्र पूंजीपतियों, जमींदारों व साम्राज्यवादियों की लूट को जारी रखने का ही हथकंडा है. यह जनवादी व जनहितकारी संविधान नहीं है. केवल और केवल जनयुद्ध के जरिये ही सच्चे गणतंत्र की स्थापना की जा सकती है.
  • झुठा संविधान - झुठा गणतंत्र मुर्दाबाद !
  • बराक ओबामा वापिस जाओ !
  • विदेशी कंपनियों को मार भगाओ !
  • साम्राज्यवाद मुर्दाबाद !
  • इंकलाब जिंदाबाद !
  • भाकपा (माओवादी) जिंदाबाद !

ओड़िशा राज्य कमेटी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)



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